Saturday, August 15, 2020

ये वीरों की धरती है

ये वीरों की धरती है गुरुओं की धरती है,
ये राम, कृष्ण और महावीर की धरती है,
जंहा भीष्मने जन्म लिया, चाणक्यने युग बदला,
ये वो चन्द्रगुप्त और सम्राट अशोक की धरती है।

राणा की शमशेरसे जहां मुघल भी कांपते थे,
शिवाजी की युद्धनीति से दुश्मन भी डरते थे,
शेऱ और बाघों की दहाड़ो की ये धरती है,
बहेती नदियाँ और ऊँचे पहाडो की ये धरती है।

ये वंदन की धरती है, पूजन और नमन की धरती है,
दुःख की बात है की ये जयचंदों से भरी धरती है,
हर काल में कोई न कोई जयचंद यंहा आया है,
इस देश को भीतरसे उसने खोखला बनाया है।

कभी जाती कभी धर्म के नाम पर, तो कभी कोई और नाम पर,
जयचंदों ने इस धरती के बेटों को अपने मतलब ख़ातिर बाँटा है,
आपसमें फुट डलवाकर लड़वाकर राज तख़्त तक पलटाया है,
मतलब निकल जाने के बाद फिर वो कभी कंहा सामने आया है।

फ़क्र है मुझे मैंने जंहा जन्म लिया ये वो पवित्र भारत भूमि है,
वतन पर मर मिटने वाले लाखों आज भी तैयार है, ये वो धरती है,
सीना ताने सरहद पर खड़े है जवान जंहा दुश्मन जिनसे कांपते है,
देश को बाँटने वालो को अब मारना जरुरी है ये चीखती यह धरती है।

ये वीरों की धरती है गुरुओं की धरती है,
ये राम, कृष्ण और महावीर की धरती है।

 
आशिष महेता 


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ये वीरों की धरती है by Ashish A. Mehta is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.

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